भारत के 5 सबसे पुराने खेल कौन से हैं?(The 5 oldest games in India?)

HELLO – दोस्तों, आज हम बात करेंगे की भारत के 5 सबसे पुराने खेल कौन से हैं इसके बारे में बात करेंगे कि भारत में काफी पुराने खेल खेले जाते हैं जिसमें कुश्ती, तीरंदाजी, पोलो भाला फेंक, तलवारबाजी, खो – खो , चौसर आदि खेल खेले जाते है। जानेगे इस ब्लॉग में खेलकर इतिहास के बारे और खेल की महत्वपूर्ण प्रतियोगिता के बारें में जाने गें में। 

 

भारत के 5 सबसे पुराने खेल कौन से हैं?(The 5 oldest games in India?)

 

भारत में 5 सबसे पुराने खेल की बात करें तो इन खेलों में सबसे पुराना खेल कुश्ती को कहा जाता है पर कुश्ती के अलावा भारत के इतिहास में तीरंदाजी, भाला फेंक, तलवारबाजी और भी खेलों का नाम हमारे पुराण और महाकाव्य में आया है। और खेलों के बारे में उपकरण और नियमों के बारे में बताया गया है।

भारत में 5 सबसे पुराने खेल

  • कुश्ती
  • तीरंदाजी
  • पोलो
  • भाला फेंक
  • तलवारबाजी
  •  खो – खो
  • चौरस

कुश्ती (Wrestling)

 

भारत के 5 सबसे पुराने खेल कौन से हैं?(The 5 oldest games in India?)

भारत के 5 सबसे पुराने खेल कुश्ती की बात करें तो कुश्ती का इतिहास, भारत में पुरानी कथाओं और महाकाव्य जैसे रामायण, महाभारत। की कहानियों में सुनने को मिला है। इसे युद्ध में कई नियम होते हैं। भारतवर्ष पहली की कुश्ती भगवान कृष्ण और कंस के बीच बताई जाती है और रामायण में बाली – सुग्रीब और महाभारत में भीम – दुर्योधन की बीच मल्लयुद्ध हुआ था और भगवान कृष्ण – चाणूर और मृष्टिक – वलराम के बीच मल्लयुद्ध भी हुआ था।

आधुनिक कुश्ती की शुरुआत भारत साल 1896 में ओलंपिक में शुरू हुई थी, भारत के पहले पहलवान “गामा पहलवान” को माना जाता है, इसके बाद साल 1948 में K.D. जाधव दूसरे खिलाड़ी बने जो ओलंपिक में तीसरी स्थान प्राप्त और ब्रॉन्ज मेडल जीता। 

कुश्ती की महत्वपूर्ण प्रतियोगिता (Important Wrestling Competition)

तीरंदाजी (Archery)

 

 

भारत में तीरंदाजी की शुरुआत पुराण और महाकाव्यों में तीरंदाजी का प्रयोग बहुत होता आ रहा था जो मनोरंजन और युद्ध कौशल के लिए तीरंदाजी का बहुत ज्यादा प्रयोग किया जाता है। हमारे पुराण जैसे रामायण और महाभारत में होने वाली धनुष का प्रयोग बहुत हुआ है जैसे रामायण में भगवान राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न, चारों भाई धनुष विद्या में निपुण थे और महाभारत में भगवान परशुराम, करण, अर्जुन, एकलव्य, भीष्म पितामाह, द्रोणाचार्य, अभिमन्यु आदि तीरंदाजी में निपुण थे।

आधुनिक तीरंदाजी को पहली 1900 बार से 1908 और साल 1920 में आधुनिक ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया। इस खेल को एक स्थायी स्थान दिलाने के लिए में “विश्व तीरंदाजी की स्थापना” हुई थी, जिसे में शामिल किया गया था।

 

भाला फेंक (Javelin Throw)

pixelcut-export (35)

 

भाला की शुरुआत महाभारत में युधिष्ठिर और मध्यकाली के समय में भारत में महाराणा प्रताप जैसे योद्धा ने में भाले की शुरुआत की थी और इसका उपयोग किया था। इसका प्रयोग युद्ध मैदान पर उनके लिए योध्दा के लिए बहुत उपयोगी होता था।

भारत में 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में भाला को पेश किया गया था और लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दिया था। भारत के खिलाड़ियों ने भाला फेंक प्रतियोगिता में अपनी पहचान बनायी थी। साल 1990 से 2000 तक भारत के दर्शकों में रुचि और निवेश की रुचि होने लगी जिसके कारण खिलाड़ियों में प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने लगे।

भारत ने 2020 के टोक्यो ओलंपिक में नीरज चोपडा ने पुरुष वर्ग में भाला फेंककर स्वर्ण पदक जीतकर अपने नाम किया है, जिसके कारण एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 7 अगस्त को “राष्ट्रीय भाला दिवस” के रूप में घोषित कर दिया था।

तलवारबाज (Fencing)

तलवारबाजी का इतिहास भारत में महाभारत और रामायण के युद्ध में तलवार का प्रयोग किया जाता है। और मध्यकालीन में भारत में महाराणा प्रताप, शिवाजी आदि राजाओं ने युद्ध में तलवार का प्रयोग किया ह और उल्लेख मिला है। प्राचीन मिस्र 1190 ईसा पूर्व तलवार से लड़ी हुई लड़ाई के सबूत मिले हैं।
आधुनिक तलवारबाजी भारत में और खेलों की अपेक्षा देरी से शुरू हुआ है। साल 1974 में “फेन्सिंग एसोसिशन ऑफ इंडिया” की स्थापना हुआ और इसे 1997 में 23 साल बाद भारत सरकार ने इस मान्यता प्रदान दिया भारत में राज्य संघ और दो सेवा संघ है, जो “फेन्सिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया” से जुड़े हैं।

 

खो – खो (Kho – Kho)

इसके बाद साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में खो खो में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया था, और इसके बाद साल 1959 – 60 में भारत ने अखिल भारतीय खो – खो चैंपियनशिप आंध्र प्रदेश के विजय बाड़ा में आयोजित की गयी थी। खो – खो का भारत में इतिहास की बात करें तो भारत के महाकाव्य महाभारत में चक्रव्यूह के रूप में माना जाता है, खो – खो को चौथी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य साम्राज्य में खेला जाता था विशेषज्ञों का मानना है की खो – खो ।उत्पत्ति भारत के महाराष्ट्र राज्य में हुई थी जो साल 1914 में खो खो को पैदल व्यक्ति द्वारा खेला जाता था।

इसके बाद साल 1936 के बर्लिन ओलंपिक में खो – खो में भारत ने प्रदर्शन किया था। और इसके बाद साल 1959 – 60 में भारत ने अखिल भारतीय खो – खो चैंपियनशिप आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में आयोजित की गयी थी। और इसके बाद भारत ने 1982 में एशियाई खेलों में भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया था। 

 

Leave a Comment